अरेरे
मैंने उससे प्यार किया , मिल्कियत का दावा नही
वो जिसके भी साथ है , मैं उसे भी अपना मानता हूं
तन्हा ही सही लड़ तो रही है वो अकेली
बस थक के गिरी है हारी तो नही
एएए तू जो मोहब्बत मैं सिला मांग रहा है
*कही तू अंदर से भिखारी तो नही*
तुम मुझे सिखाओगे के इश्क़ क्या होता है ,
जो हर रोज़ किसी एक नए हुशन पर मर जाता है।